कांगड़ा। मटौर-शिमला फोरलेन के लिए कांगड़ा बाईपास के समीप बने 13 घरों को गिराने की कार्रवाई शुक्रवार से शुरू कर दी गई है। भारी बारिश के दौरान भी यह कार्रवाई थमी नहीं। पिछले 60 सालों से रह रहे लोगों के आशियाने गिराने का सिलसिला इस वजह से शुरू हो गया कि ये 13 घर सरकारी जमीन पर बनाए गए हैं। अभी हालांकि एक घर को ही गिराया गया है। प्रशासन और एनएचएआई के अधिकारियों ने सुबह ही उन्हें घरों को खाली करने का आदेश दे दिया था। जैसे ही पहला घर खाली हुआ तो पोकलेन से उस पक्के मकान को गिरा दिया गया। प्रभावित परिवार दिल पर पत्थर रखकर मेहनत से बनाए अपने घर को गिरता देख रहे थे। प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले ही भवन मालिकों को आगाह कर दिया था कि वे लोग अपने घरों से सामान निकाल लें। शुक्रवार को कार्रवाई होकर रहेगी। मंगलवार को प्रशासनिक अमला इन भवनों को गिराने के लिए दलबल के साथ पहुंचा था, तब इन लोगों ने न्यायालय का हवाला देकर समय मांगा था। शुक्रवार को घरों को खाली करते समय लोगों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई थी। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। अपना सामान और परिजनों को लेकर अब वे कहां जाएंगे, इसके लिए वे चिंतित दिखे। हालांकि मौके पर पहुंचे जांगीपुर पंचायत प्रधान रिंपल कुमार ने बताया कि पंचायत उनके साथ है। इन लोगों की हरसंभव मदद की जाएगी। ये लोग अब बेघर हो गए हैं, जिनके रहने का इंतजाम पंचायत स्तर पर भी किया जा रहा है। वहीं एसडीएम सोमिल गौतम ने कहा कि प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई कानून के दायरे में है। इन लोगों को मई में भी नोटिस दिए गए थे। उन्होंने बताया कि उनके मकान सरकारी भूमि पर बने हैं।
सड़क पर भीगता रहा सामान
बेघर होने के बाद लोगों ने अपना सामान सड़क किनारे रख दिया। ऐसे में तेज बारिश से सारा सामान भीग गया। प्रभावित आशू ने बताया कि कम से कम प्रशासन या सरकार को उन्हें पहले बसाया जाता। अब वे कहां जाएंगे, कुछ कह नहीं सकते।
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