7 भाईयो ने इसी जगह पर अपनी बहन का मांस खाया था। #tarndingnews #hodalnews #hnnews , Sachhi Ghatna
अक्टूबर 11, 2023
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सात भाईयो ने अपनी सगी बहन को मारकर मास खाया और हड़िया चूस कर फेक दी। जिसने सुना उस के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी जगह पर भाइयों ने अपनी बहन का मांस खाया था। नौज़ गांव में साथ भाई और एक बहन एक साथ रहते थे। एक भाई एक आँख से विकलांग था, उसे दिखाई नहीं देता था.. छह भाई उसे प्रताड़ित करते थे। बहन का नाम बिंदु था. भाई जड़ और शिकार का काम करता था, बहन घर का काम करती थी। एक दिन सभी भाई शिकार की तलाश में जंगल में जाते हैं। घर में कच्ची सब्जी काटते समय बिंदु की उंगली कट जाती है. बिंदु बेहोश हो गई. पूरे साग में खून मिल जाता है. जब उसे होश आता है तो वह अपनी उंगली को कपड़े से बांध लेती है। वह उस कच्चे साग को फेंकने के बजाय उसकी सब्जी बना लेती हैं। जब सभी भाई घर पहुँचते हैं तो पकी हुई सब्जी खाते हैं। एक राजा के सात बेटे और एक बेटी थी। जो, खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहे थे। सात भाई-बहनों में, एकलौती छोटी बहन बहुत ही शांत स्वभाव, आज्ञाकारी एवं संस्कारी थी। उनमें, सबसे बड़े भाई का विवाह हो चुका था। सातों भाइयों में, सबसे छोटा भाई, एक आंख से अंधा था। छोटे भाई के दिल में, अपनी इकलौती बहन के लिए बड़ा प्यार एवं लगाव था। एक दिन, बड़े राजकुमार अपनी पत्नी और अपने छोटे भाइयों को साथ लेकर, अपने खेतों में काम करने चले गए। चूंकि, उस जमाने में खेती-बाड़ी आपसी सहयोग से हुआ करते थे। सभी लोग, खेतों में काम करने जाने से पहले, अपनी छोटी बहन को खाना बनाने का आदेश देकर घर से निकलते हैं। सातों राजकुमार की बहन, अकेले घर पर खुशी-खुशी सबके लिए खाना बनाने के लिए, जंगल से सरौटी साग को तोड़ कर लाती है और बड़े प्यार से सरौटी साग की सब्जी बनाने से पहले, बैठी (सब्जी/फल आदि काटने का औजार) से साग को काटने लगती है। इसी दौरान, वह अपनी उंगली भी काट बैठती है और रक्त की एक तेज धार निकलने लगती है। जिससे, उसका पूरा हाथ खून-खून हो जाता है। तब, राजकुमारी सोचने लगती है कि, क्या करूं? अगर, घर के दीवार में, खून को पोंछूंगी तो भैया लोग देख लेंगे और चिंता करेंगे। और यदि, अपने कपड़े में पोंछूंगी, तो भाभी खून लगा कपड़ा देखकर (माहवारी समझ), खाना नहीं खाएंगी। राजकुमारी इस डर से, सब्जी पकाने वाले 'छाता साग' में, सारा खून को पोंछकर, खून को बहने से रोकती है। फिर, इसी खून लगे साग को सब्जी बनाती है। जब उसके सारे भाई और भाभी अपने खेतों से लौटते हैं। तो छोटी बहन हमेशा की तरह, सभी के लिए, साफ थाली में खाना और मिट्टी के लोटे में, पीने के लिए पानी देती है। और सभी एक साथ खाना खाते हैं, और पके हुए साग को खाकर, खाने की जमकर तारीफ करते हैं। और वे सब, अपनी बहन से पूछते हैं कि, बहन तुम्हारे द्वारा बनाया हुआ, यह साग बहुत बार खाए हैं। परंतु, आज की बनी सब्जी का स्वाद, बहुत ही अद्भुत लगा। बताओ ना! कैसे और क्या-क्या मिलाकर, इतना स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाई हो? पहले तो राजकुमारी, डर से सहम गई कि, कहीं भाइयों को पता न चल जाए कि, मेरे हाथ की उंगली कट गई है। फिर, वह थोड़ा सोचकर बोलती है कि, कुछ नहीं भैया, जैसा हमेशा की तरह सब्जी पकाती हूं, वैसे ही तो बनाई हूं। राजकुमारी, अगले दिन, सातों भाइयों के अनुरोध पर, फिर से एक बार, वही ‘छाता साग’ की सब्जी बनाती है। परन्तु, भाइयों को पिछले दिन के जैसा स्वाद नहीं मिलता। फिर, ऐसा ही अनुरोध, तीन-चार बार हुआ। लेकिन, खून लगे साग का स्वाद, उनके मन-मस्तिष्क से उतर ही नहीं रहा था। असलियत जानने की जिज्ञासावश, सातों भाई और भाभी ने, उससे उस दिन के खाना बनाने का तरीका, जानने का जिद करने लगे। मजबूरन, राजकुमारी को सारी घटना बतानी पड़ी। मामला इस प्रकार है। एक राजा के सात बेटे और एक बेटी थी। जो, खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहे थे। सात भाई-बहनों में, एकलौती छोटी बहन बहुत ही शांत स्वभाव, आज्ञाकारी एवं संस्कारी थी। उनमें, सबसे बड़े भाई का विवाह हो चुका था। सातों भाइयों में, सबसे छोटा भाई, एक आंख से अंधा था। छोटे भाई के दिल में, अपनी इकलौती बहन के लिए बड़ा प्यार एवं लगाव था। एक दिन, बड़े राजकुमार अपनी पत्नी और अपने छोटे भाइयों को साथ लेकर, अपने खेतों में काम करने चले गए। चूंकि, उस जमाने में खेती-बाड़ी आपसी सहयोग से हुआ करते थे। सभी लोग, खेतों में काम करने जाने से पहले, अपनी छोटी बहन को खाना बनाने का आदेश देकर घर से निकलते हैं। सातों राजकुमार की बहन, अकेले घर पर खुशी-खुशी सबके लिए खाना बनाने के लिए, जंगल से सरौटी साग को तोड़ कर लाती है और बड़े प्यार से सरौटी साग की सब्जी बनाने से पहले, बैठी (सब्जी/फल आदि काटने का औजार) से साग को काटने लगती है। इसी दौरान, वह अपनी उंगली भी काट बैठती है और रक्त की एक तेज धार निकलने लगती है। जिससे, उसका पूरा हाथ खून-खून हो जाता है। तब, राजकुमारी सोचने लगती है कि, क्या करूं? अगर, घर के दीवार में, खून को पोंछूंगी तो भैया लोग देख लेंगे और चिंता करेंगे। और यदि, अपने कपड़े में पोंछूंगी, तो भाभी खून लगा कपड़ा देखकर (माहवारी समझ), खाना नहीं खाएंगी। राजकुमारी इस डर से, सब्जी पकाने वाले 'छाता साग' में, सारा खून को पोंछकर, खून को बहने से रोकती है। फिर, इसी खून लगे साग को सब्जी बनाती है। जब उसके सारे भाई और भाभी अपने खेतों से लौटते हैं। तो छोटी बहन हमेशा की तरह, सभी के लिए, साफ थाली में खाना और मिट्टी के लोटे में, पीने के लिए पानी देती है। और सभी एक साथ खाना खाते हैं, और पके हुए साग को खाकर, खाने की जमकर तारीफ करते हैं। और वे सब, अपनी बहन से पूछते हैं कि, बहन तुम्हारे द्वारा बनाया हुआ, यह साग बहुत बार खाए हैं। परंतु, आज की बनी सब्जी का स्वाद, बहुत ही अद्भुत लगा। बताओ ना! कैसे और क्या-क्या मिलाकर, इतना स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाई हो? पहले तो राजकुमारी, डर से सहम गई कि, कहीं भाइयों को पता न चल जाए कि, मेरे हाथ की उंगली कट गई है। फिर, वह थोड़ा सोचकर बोलती है कि, कुछ नहीं भैया, जैसा हमेशा की तरह सब्जी पकाती हूं, वैसे ही तो बनाई हूं।
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