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हरियाणा

हरियाणा प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स फेडरेशन द्वारा जिला उपायुक्त से जटिल नियमों में सरलता की अपील:गुरमीत सिंह देओल

फरीदाबाद.3 जून। 
जितेंद्र कुमार.

हरियाणा प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स फेडरेशन के प्रदेश महासचिव गुरमीत सिंह देओल ने उपायुक्त महोदय के संज्ञान में अपील करते हुए कहा है कि, जहां एक ओर पिछले कई वर्षों से हरियाणा सरकार द्वारा किसी भी विभाग में नए कर्मचारियों व अधिकारियों की भर्ती नहीं की गई जबकि सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर विभाग में कर्मचारियों की संख्या पहले की अपेक्षा 35 से 40 परसेंट ही रह गई है और काम का बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में उप मंडल अधिकारी नागरिक बड़खल अमित मान जी द्वारा संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए विभागीय कर्मचारियों या अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य किया जाना कहकर पिछले कुछ सप्ताह से लगातार रियल एस्टेट कारोबारियों, आम नागरिकों एवं अर्जीनवीसो को बैरंग लौटाया जा रहा है। जिसके कारण आम नागरिकों को निराशा हो रही है और सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है। एक ओर सरकार ने जहां तहसीलदार, नायब तहसीलदार के साथ-साथ एसडीएम एवं जिला राजस्व अधिकारी को भी संपत्ति के पंजीकरण का अधिकार देकर लोगों के लिए अधिक सुविधाएं देने की घोषणा की थी।
लेकिन अधिकारी अपने तुगलकी फरमानों के द्वारा ठीक उसके विपरीत पब्लिक के लिए नए-नए आदेश जारी करके पहले से अधिक जटिल प्रक्रिया को अपनाकर आमजन के लिए सर दर्द बनाते जा रहा हैं। जहां पहले ही हर एक विभाग स्टाफ की कमी का रोना रो रहा है और सभी कार्य इसी वजह से प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पंजीकरण करवाते समय उस विभाग के कर्मचारी या अधिकारी की उपस्थिति होना अनिवार्य बनाकर इस प्रक्रिया को और अधिक जटिल बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। एचएसवीपी फरीदाबाद के सम्पदा अधिकारी के अधीन पूरे फरीदाबाद जिले के साथ-साथ पलवल एवं हथीन भी आते हैं। नए आदेशों के अनुसार क्या कर्मचारी जिला फरीदाबाद की विभिन्न तहसीलों में पलवल एवं हथीन एक साथ कैसे उपस्थित रह सकते हैं। जबकि व्यवस्था में इतनी त्रुटियां हैं कि, आए दिन सर्वर डाउन, पावर/बिजली की समस्या, आधार या अन्य विभागों की साइट में एरर, अधिकारी या कर्मचारी का मौके पर स्वयं उपस्थित ना रहना पहले से ही एक गंभीर समस्या बना हुआ है। जिसके कारण आम नागरिक को अपने कार्य करवाने के लिए कई-कई बार यहां आना पड़ता है। क्या इस व्यवस्था में सरकारी कर्मचारी या अधिकारी भी उनके साथ-साथ इसी प्रकार सुबह से शाम तक वहां इन आदेशों की पालना के लिए मुंह लटका कर बैठे रहेंगे और अंत में अगले दिन दोबारा अप्लाई करने का कहकर जैसे आम नागरिकों को परेशान अब तक किया जा रहा है। क्या इसका खामियाजा सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को भी भुगतना पड़ेगा। धरातल पर ऐसे आदेशों की पालन किया जाना बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है।
इस संबंध में वरिष्ठ समाजसेवी गुरमीत सिंह देओल ने जिला उपायुक्त महोदय से अपील करते हुए कहा है कि, ऐसे आदेशों को तुरंत प्रभाव से रद्द करके पुरानी प्रक्रिया के अनुसार ही आम लोगों को सुविधा मुहिया करवाई जाए और सभी तहसील अथवा एसडीएम कार्यालय में पहले से ही पंजीकृत कराए गए टोकन में दिए गए समय पर दस्तावेज पंजीकरण किया जाना अनिवार्य और इस कार्य में देरी होने पर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए।
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