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हरियाणा

40 साल बाद श्रीसागर में फिर से निकला दूध, श्रद्धालुओं का लगा ताता।

40 साल बाद खीर सागर में फिर से निकला दूध, श्रद्धालुओं का लगा ताता । होडल, गौरव बंसल। उपमंडल के गांव बासवा में बासवा के बडे मंदिर में स्थित खीर सागर में 40 साल के बाद एक बार फिर से रविवार दोपहर को दूध निकला। खीर सागर में से दूध निकलने की सूचना मिलते ही गांव के सैकड़ो महिला पुरुष व आसपास गांवों के लोग मंदिर पर पहुंच गए। कई ग्रामीण खीर सागर से निकलने वाले दूध को बर्तनों में भरकर अपने घरों के लिए ले गए। ग्रामीणों ने खीर सागर की पूजा अर्चना की। जैसे-जैसे खीर सागर में से दूध निकलने सूचना अन्य राज्यों के लोगो को मिल रही है वैसे-वैसे लोग खीर सागर के दर्शनों के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है। गांव बासवा में स्थित बडे मंदिर के प्रांगण में बने खीर सागर में रविवार दोपहर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं तीन अलग-अलग जगह से दूध निकलता देखा। देखते ही देखते कुछ देर में ही खीर सागर का सारा पानी दूध जैसा सफेद हो गया। खीर सागर में से दूध निकलने की सूचना जैसे ही अन्य ग्रामीणों को मिली वैसे है गांव के सैकड़ो ग्रामीण मंदिर की ओर दौड लिया। ग्रामीणों ने मंदिर में पहुंचकर खीर सागर के दर्शन किए और खीर सागर में से निकलने वाले दूध को देखा। गांव की कई महिला तो अपने घरों से खाली बर्तन लेकर खीर सागर पर पहुंच गए और उन्होंने खीर सागर में से निकलने वाले दूध को बर्तनों में भरकर घरों को ले गए। बडे मंदिर के महंत और ग्रामीणों ने खीर सागर की पूजा अर्चना की और भगवान लक्ष्मीनारायण के जयकारे लगाए। खीर सागर में से दूध निकलने की सूचना जैसे जैसे अन्य राज्यों के लोगों को मिल रही है वैसे वैसे श्रद्धालुओं का मंदिर पर खीर सागर के दर्शनों के लिए जमावड़ा लगा हुआ है। क्या है मंदिर की विशेषता- गांव बासवा निवासी ग्रामीण सरपंच निशा देवी, वीर सिंह, ओमी पूर्व सरपंच, भुट्टो, भागीरथ, दल्लू, गोपाल, उदय सिंह, सुखा के अलावा अन्य ग्रामीणों ने बताया कि हजारों साल पहले गांव खिरबी के दो भाई रामदास और राघवदास भगवान जगननाथ के अच्छे भगत थे। उन्होंने बताया कि उन दोनों भाइयों ने गांव से भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए दंडोती उठाई। दोनों भाई दंडोती लगाते हुए गांव बासवा में पहुंच गए। दंडोती लगा रहे दोनों भाइयों की हालत इतनी खराब हो गई की उनका आगे एक कदम भी बढ़ाना दुर्लभ हो गए। हारे थके वह दोनों भाई वही पर सो गए। रात के समय एक भाई के सपने में भगवान जगन्नाथ ने दर्शन दिए और कहा कि तुम दोनों भाई की हालत इतनी खराब हो गई है कि तुम दोनों भाई मेरे पास तक नहीं पहुंच सकते। भगवान ने उन दोनों भाइयों को सपने में बताया कि पास में ही एक श्यामा गाय जहां दूध देगी वही पर मेरे छोटे भाई पोडानाथ की लेटी हुई प्रतिमा निकलेगी उसे वहां से निकालकर उसकी पूजा अर्चना करें। सपने की बात दोनों भाइयों ने गांव बासवा के लोगों को बताई। दोनों भक्तों की बात सुनकर ग्रामीण श्यामा गाय की खोज की तो उन्होंने देखा कि एक पेड़ के नीचे श्यामा गाय अपने आप दूध दे रही थी। जब ग्रामीणों ने वहा खोद कर देखा तो उन्होंने जमीन के नीचे से पोडानाथ भगवान की मूर्ति को बाहर निकाला और उस प्रतिमा को गांव बासवा के बड़े मंदिर में स्थापित पर दिन। मंदिर में कुछ दिन प्रतिमा के स्थापित रहने के बाद के कई गांव के लोग एकत्रित हुए और उन्होंने यह निर्णय लिया की प्रतिमा पास के गांव सेशसाई में मंदिर की स्थापना कर उसमे स्थापित किया जाए। गांव बासवा के ग्रामीणों ने बताया कि गांव की ओर से 100 एकड जमीन दान देकर भगवान के मंदिर की स्थापना कर प्रतिमा को वहा स्थापित किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि जिस खीर सागर में से दूध निकला है उसी खीर सागर में से भगवान पोडानाथ की प्रतिमा निकली थी। खीर सागर में निकला दूध का दृश्य और दूसरी ओर लगा श्रद्धालुओं का ताता।

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